Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर गुरुदेव ने लिखी थी ...

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर गुरुदेव ने लिखी थी कविता

736
9
Spread the love

रायपुर .छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेलवे स्टेशन का इतिहास काफी पुराना है और इसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कविता की सौगात देकर और भी समृद्ध बनाया। वर्ष 1918 कोलकाता से पेंड्रा जाते समय उन्हें बिलासपुर स्टेशन में रूकना पड़ा, क्योंकि कोलकाता से पेंड्रा के लिए सीधी ट्रेन नहीं थी।बिलासपुर में आगे के लिए ट्रेन बदलनी पड़ती थी। इस वजह से उन्होंने पेंड्रा के लिए दूसरी ट्रेन के इंतजार में छह घंटे बिताए। इसी दौरान उन्होंनें कविता फांकि लिखी। यह कविता उनके काव्य संग्रह पलातका में है। इस कविता में दो जगहों पर बिलासपुर का जिक्र है। उनकी कविता को एक धरोहर के रूप में स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-दो के गेट पर लगाकर रखा गया है। ये यात्रियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है, जिसे देखकर सभी को गर्व की अनुभूति होती है।बिलासपुर को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी कविता ‘फांकि’ की पंक्तियों में जगह दी है। कारण यह कि इस कविता को उन्होंने वर्ष 1918 में बिलासपुर स्टेशन में छह घंटे बिताने के दौरान यहां के अनुभवों के आधार पर रची थी। बिलासपुर रेलवे ने भी इस कविता को धरोहर के रूप में एक सदी से स्टेशन में सहेजकर रखा है। गुरुदेव ने ट्रेन से उतरते ही कहा था- बिलासपुर स्टेशन में बदलनी है गाड़ी, तारातरि(जल्दी ही) उतरना पड़ा, मुसाफिरखाने में पड़ेगा छह घंटे ठहरना..।गुरुदेव की कविता स्टेशन में बांग्ला और अंग्रेजी में लिखी हुई है। यह पूरे विस्तार में और उनके आगमन वर्ष समेत अन्य जानकारियों के साथ दर्ज है। वहीं उनके कहे शब्द स्टेशन में संगमरमर के शिलालेख में बांग्ला व अंग्रेजी दोनों में है।


Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here