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फर्जी दस्तावेजों के आधार पर की गई रजिस्ट्री एवं दस्तावेजों के जांच के लिए कलेक्टर ने तहसीलदार को निर्देश दिए

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राजनांदगांव। ग्राम पंचायत सोमनी में खसरा नंबर 190/5 की शासकीय भूमि में पंचायत द्वारा सामुदायिक भवन का निर्माण कराया जा रहा है। इस निर्माण कार्य पर रोक लगाने के लिए पंचायत को पहले वकील के द्वारा नोटिस भेजा गया। निर्माण कार्य नहीं रोकने पर न्यायालय के माध्यम से भी पंचायत को नोटिस भेजा गया है। संजय तापड़िया नामक व्यक्ति जो की टाटानगर, झारखंड का निवासी है के द्वारा उक्त निर्माणाधीन भूमि को खसरा नंबर 190/7 में बता रहा है, जबकि यह खसरा नंबर सोमनी में कहीं पर है ही नहीं। पूर्व में फोरलेन में निकल चुका है। पंचायत में उक्त व्यक्ति द्वारा जो दस्तावेज प्रस्तुत किये गए है वो प्रथम दृष्टया फर्जी है। इस विषय की विस्तृत शिकायत सांसद संतोष पांडेय व कलेक्टर डोमन सिंह से भी की गई है। कलेक्टर द्वारा तत्काल कार्यवाही करते हुए तहसीलदार मनीष वर्मा को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने आदेशित किया गया। जांच हेतु तहसीलदार पटवारी के साथ सोमनी पहुंचे व शिकायत की गई भूमि के संदर्भ में ग्रामीणों से चर्चा कर मौका मुआयना किया तथा पंचनामा बनाया गया। अपने प्रतिवेदन में तहसीलदार ने पंचायत द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्य को सही बताते हुए 190/5 पर ही निर्माण कार्य किए जाने की जानकारी दी है। साथ ही शेष बची जमीन को पंचायत को अपने संरक्षण में लेकर फेंसिंग करने के को कहा है। शहर में जगह है नहीं इसलिए महिला बाल विकास विभाग का बाल सम्प्रेषण गृह हेतु उक्त भूमि को उपयुक्त बताते हुए शासन को इसका प्रस्ताव भेजने की बात कही। इस पूरे प्रकरण से यह पता चलता है कि कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर पंजीयन कार्यालय के द्वारा रजिस्ट्री की गई है। इसमें पूर्व पटवारी, स्थानीय दलाल के साथ तात्कालिक उपपंजीयक की भी भूमिका संदिग्ध है। शासन की सुरक्षित आबादी भूमि की रजिस्ट्री नहीं हो सकती है, लेकिन रजिस्ट्रार ने आंख मूंद कर पंजीयन कर दिया। तात्कालिक पटवारी रवि पटेल द्वारा कूटरचित दस्तावेज तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाते हुए चौहद्दी बनकर दिया गया है, जबकि शासन के आदेश क्रमांक 1956.तक-तीन/2020 नया रायपुर 26/11/2020 के अनुसार हस्तलिखित नजरी नक्शा देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सिर्फ ऑनलाइन नक्शा खसरा के आधार पर ही सभी काम किए जाने के निर्देश दिए गए हैं एवं उन्हें ही मान्य करने की बात कही गई है। इस विषय का पत्र शासन के द्वारा बहुत पहले जारी किया जा चुका है, इसके बाद भी यह कार्य किया जाना संदेह के घेरे में है। मजे की बात यह है कि 190/7 खसरा नंबर के रजिस्ट्री में 190/2 खसरा का नक्शा जो की शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला की लगानी जमीन है उसका नक्शा लगाया गया है। अभिलेख लिखते समय कच्चा मकान टूटा-फूटा के कवेलू वाला लिखा गया है, जबकि घोषणा पत्र व शपथ पत्र दिए जाते समय जमीन का क्रय-विक्रय दर्शाया गया है। इस प्रकार ढेर सारी कमियों के साथ इस वारदात को अंजाम दिया गया है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका स्थानीय दलाल की है जिसने झारखंड के व्यक्ति को गुमराह कर इस पूरे कार्य को अंजाम दिया है। इस व्यक्ति को भी घेरे में लेकर इस पर प्राथमिक की दर्ज कर अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जा सकता है। पंचायत का स्पष्ट कहना है कि यह निर्माण कार्य छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा क्षेत्र विकास प्राधिकरण मद से स्वीकृत हुआ है। पंचायत ने प्रस्ताव कर तकनीकी स्वीकृति के बाद कलेक्टर की प्रशासकीय स्वीकृति के बाद यह कार्य आरंभ कराया है। कार्य में व्यवधान डालना उचित नहीं है। शासकीय जमीन की खरीदी-बिक्री का कार्य सोमनी में पिछले कई वर्षों से स्थानीय दलालों द्वारा बड़े जोर-शोर से किया जा रहा है, इसमें कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी भूमिका संदिग्ध है, इन्हीं के संरक्षण से यह दलाल ऐसा दुस्साहस भरा कार्य लगातार कर रहे हैं, इनके संरक्षण में अभी तक सोमनी की बहुत सारी जमीनों पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर रखा है। आवास पारा में राजगामी संपदा न्यास की भूमि को लोग कब्जा कर बेच रहे है। इसी प्रकार सिंचाई विभाग के 18 एकड़ भूमि में लोग बेधड़क होकर कब्जा कर घर का निर्माण कर रहे है। विभाग और प्रशासन मौन साधे बैठा है। गांव की शासकीय भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराना चाहिए। इन सभी की कलेक्टर द्वारा जांच की जानी चाहिए और शासकीय भूमि को ग्राम के विकास के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए।


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