राजनांदगांव। सत्ता परिवर्तन होते ही प्रशसानिक फेरबदल का दौर आरंभ हो जाता है। लोक सभा चुनाव सिर पर है, और आचार संहिता लगने वाला है, ऐसे में अपने चेहतों को मनचाहा पद और प्रतिष्ठा देने का प्रयास हर सरकार करती है। ठीक चुनाव से पूर्व व्यापक स्तर पर स्थानांतरण होता है, और शिक्षा विभाग से तो विवादों का पुराना संबंध है। पूर्व की सरकार ने नियम कानून को ताक पर रखकर अपने चेहतों को मलाईदार पद दिया। आलम यह है कि पूरे प्रदेश में 33 में से 30 जिलों में कनिष्ठों को डीईओ के नियमित पदों पर बैठा दिया गया, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग ने यह स्पष्ट आदेश दिया है कि जिले के नियमित पदों पर सिर्फ जिले के वरिष्ठों को ही चालू प्रभार सौंपा जा सकता है, किसी भी परिस्थिति में नियमित पदों पर जिलें में वरिष्ठों के रहते किसी कनिष्ठ को चालू प्रभार नही सौंप जा सकता है। अब नई सरकार को डीईओ के नियमित पदों को भरना है, जहां प्रभारियों को बैठा दिया गया है, जबकि 33 उपसंचालक वर्तमान में पूरे प्रदेश में पदस्थ है, और उपसंचालक ही डीईओ बन सकता है, ऐसे में शिक्षा विभाग और विभागीय मंत्री को ज्यादा माथापच्ची करने की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा है,क्योंकि वरिष्ठों को विभाग भाव दे नही रहा है। प्राचार्यो की वरिष्ठता सूची भर्ती पदोन्नति नियम और सामान्य प्रशासन विभाग का स्थायी आदेश, तो वरिष्ठों के पक्ष में है, लेकिन मंत्री जी किसके पक्ष में है, इसका फैसला दो तीन दिन में हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल द्वारा विगत कई वर्षो से शासन से यही मांग कर रहे है कि डीईओ के नियमति रिक्त पदों पर वरिष्ठों की पदस्थपना होना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है, नई सरकार से भी यह मांग की गई है।