Home छत्तीसगढ़ धार्मिक मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार – हाईकोर्ट

धार्मिक मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार – हाईकोर्ट

29
0
Spread the love

बिलासपुर । शनिवार अवकाश के दिन हाईकोर्ट ने एक पुत्र की याचिका पर तत्काल सुनवाई करते हुए उसके मृत पिता के शव को धार्मिक मान्यता के अनुसार दफनाने की अनुमति प्रदान की है। एस पी बस्तर को इसके लिये सुरक्षा प्रदान करने को कहा है , ताकि हिन्दू बहुल गाँव में अंतिम संस्कार भली प्रकार हो सके। याचिकाकर्ता सार्तिक कोर्राम के पिता ईश्वर कोर्राम का अचानक सांस लेने में तकलीफ के कारण 25 अप्रैल को डिमरपाल अस्पताल, परपा, मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता और उसका परिवार ईसाई धर्म को अपना लिया है। पिता की मृत्यु के बाद जब वे शव ग्राम छिंदबहार ले जाने की व्यवस्था एंबुलेंस में कर रहे थे तब थाना प्रभारी परपा ने रोका और उसे ग्राम छिंदबहार में शव को न दफन कही ओर ले जाने कहा क्योंकि उक्त गांव एक हिंदू बहुल गांव है और वहां कोई अलग जगह नहीं है। याचिकाकर्ता ने एस.एच.ओ., पी.एस. से अनुरोध किया। उनसे शव को ग्राम छिंदबहार ले जाने की अनुमति मांगी, लेकिन उन्हें ऐसी अनुमति नहीं दी गई। 26 अप्रैल 2024 को कलेक्टर, जिला बस्तर और एस.पी., जिला बस्तर को भी अभ्यावेदन दिया लेकिन संबंधित अधिकारियों ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। शव मेडिकल कॉलेज, जगदलपुर की मच्र्युँरी में पड़ा रहा। इसके बाद हाईकोर्ट की शरण लेकर अर्जेंट हियरिंग का अनुरोध किया गया। जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की बेंच में शनिवार शाम 6.30 बजे सुनवाई हुई । याचिकाकर्ता के वकील प्रवीन तुलस्यान ने कहा कि, अपने पिता के शव को दफनाना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता का मौलिक अधिकार है याचिकाकर्ता और उनका परिवार ईसाई धर्म को मानता है, इसलिए उन्हें थाना प्रभारी पी.एस.परपा ने उनके पिता के शव को ग्राम छिंदबहार में दफनाने से रोक दिया है। वह गाँव में अपनी जमीन में ही उसे दफना देंगे। जस्टिस पाण्डेय ने मेडिकल कालेज जगदलपुर को मृतक ईश्वर कोर्राम का शव याचिकाकर्ता को सौंपने का निर्देश दिया गया है और याचिकाकर्ता को किसी भी कानून से बचने के लिए अपने पिता के शव को ग्राम छिंदबहार में अपनी जमीन पर दफनाने की अनुमति दी गई और. पुलिस अधीक्षक, बस्तर को यह भी निर्देशित किया कि याचिकाकर्ता को उचित पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए जब तक कि याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा शव को शालीनता से दफनाया न जाए। याचिकाकर्ता को 28 अप्रैल 2024 को अपने पिता के शव को दफनाने की अनुमति दी गई है।


Spread the love