नई दिल्ली। पिछले दिनों बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय संस्थानों के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की थी। इसमें प्रस्ताव है कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों को लोन का 5 प्रतिशत प्रोविजिनिंग के तौर पर रखना होगा। हालांकि, प्रोजेक्ट के शुरू इससे बैंकिंग और नॉन-बैंकिंग, सभी कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों के शेयरों में भारी गिरावट आई।
इसमें सरकारी क्षेत्र की Indian Renewable Energy Development Agency (IREDA) भी है, जिसे हाल ही में सरकार ने ‘नवरत्न’ दर्जा दिया था। मल्टीबैगर रिटर्न देने वाली इरेडा के शेयरों में सोमवार को बड़ी गिरावट आई। मंगलवार को भी बीएसई पर इरेडा के शेयर 2.70 प्रतिशत गिरकर 167.65 रुपये पर बंद हुआ। इससे पता चलता है कि अभी भी निवेशक आरबीआई की प्रस्तावित गाइडलाइंस को लेकर डरे हुए हैं।
हालांकि, IREDA का कहना है कि केंद्रीय बैंक की प्रस्तावित गाइडलाइंस का कंपनी पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। वहीं, प्रॉफिट ऑफ्टर टैक्स (PAT) के लगभग अप्रभावित रहने की उम्मीद है।
आरबीआई की ड्राफ्ट गाइडलाइंस का मकसद उन खामियों को दूर करना है, जिनकी वजह से नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बढ़ता है। इससे कंसोर्टियम फाइनेंसिंग में अनुशासन बढ़ेगा। इसका ज्यादा असर उन लेंडर्स पर पड़ेगा, जो आरबीआई के प्रोविजनिंग नॉर्म्स का पालन करते हैं। साथ ही, अपने AUM में लंबी निर्माण अवधि वाले प्रोजेक्ट्स रखते हैं। इरेडा पर इसका बेहद सीमित प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि हम पहले से ही हायर प्रोविजनिंग का पालन करते हैं और हमें आरबीआई की प्रस्तावित गाइडलाइंस से तालमेल बिठाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
IREDA पर क्यों नहीं होगा ज्यादा इंपैक्ट?
IREDA जिन RE प्रोजेक्ट, जैसे कि सौर और पवन परियोजनाएं, की फाइनेंस करती है, उनकी निर्माण अवधि अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग NBFC की तुलना में कम होती है।
IREDA के पोर्टफोलियो में शामिल ज्यादातर प्रोजेक्ट पर पहले ही काम शुरू हो गया, इसलिए अतिरिक्त प्रावधान की जरूरत का प्रभाव सीमित हो जाता है।
IREDA के प्रॉफिट ऑफ्टर टैक्स (पीएटी) के काफी हद तक अप्रभावित रहने की उम्मीद है। वहीं, नेट वर्थ और Capital Adequacy Ratio (CRAR) पर मामूली असर पड़ सकता है।