कहने की ज़रूरत नहीं कि भारतीय रेल हमारे देश की जीवन रेखा है। लाखों की संख्या में लोग और कई हजार टन माल की इस अविश्वसनीय आवाजाही के पीछे एक और यात्रा छिपी है – पृथ्वी की गहराई से निकाले गए लौह अयस्क का भट्टियों से होकर सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के कन्वर्टर्स तक पहुंचने और फिर फिनिशिंग मिलों में रेल इस्पात के निर्माण की यात्रा।
राष्ट्रीय वाहक भारतीय रेलवे और भारत के सबसे बड़े इस्पात उत्पादक महारत्न सेल की प्रमुख इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के बीच छह दशकों से अधिक समय से चली आ रही साझेदारी, स्वतंत्रता के बाद और आधुनिक भारत के इतिहास में सबसे स्थायी व्यापारिक संबंधों में से एक है। यह संबंध विश्वास पर आधारित साझेदारी है।
हमारे देश की प्रगति में भारतीय रेलवे ने जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उससे हम सभी भली-भांति परिचित हैं। स्वतंत्रता के बाद, भारत के औद्योगीकरण और विकास योजनाओं की सफलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर थी, कि भारतीय रेलवे कितनी तेजी से और कुशलता से खुद को बदल सकती है। भारतीय रेलवे द्वारा कुशलतापूर्वक संचालित आधुनिक रेल परिवहन प्रणाली निःसंदेह आज राष्ट्र की जीवन रेखा है।
राष्ट्र के लिए रेल निर्माता के रूप में सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र, भारतीय रेलवे के दैनिक संचालन का एक अभिन्न अंग रहा है। भिलाई ने अपनी रेल और स्ट्रक्चरल मिल तथा यूनिवर्सल रेल मिल से साल दर साल बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए वांछित मात्रा, गुणवत्ता और वांछित लंबाई की रेल तैयार की है। भारतीय रेलवे के कड़े विनिर्देशों के अनुसार, विश्व स्तरीय रेल तैयार करने के लिए मानकों में उत्तरोत्तर सुधार किया गया है। सेल-बीएसपी द्वारा उत्पादित रेल, हमारे देश के कोने-कोने में फैली हुई हैं।
भिलाई इस्पात संयंत्र में रेल का उत्पादन अक्टूबर 1960 में, रेल एवं स्ट्रक्चरल मिल के उद्घाटन के साथ शुरू हुआ। भिलाई इस्पात संयंत्र छह दशकों से अधिक समय से भारतीय रेलवे की वांछित ग्रेड की रेल की आवश्यकता को पूरा कर रहा है। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निर्धारित सख्त मानकों को पूरा करने के लिए, महारत्न सेल के भिलाई इस्पात संयंत्र में रेल के लिए स्टील बनाने के कार्य को विशेषीकृत किया गया है। परिणामस्वरूप, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र का भारतीय रेलवे के साथ संबंध, समय की कसौटी पर खरा उतरा है।
वर्ष 2001-02 में, भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) ने 26 मीटर रेल सहित रेलवे की बढ़ती हुई रेल की मात्रा के मांग को पूरा करने के लिए, रिकॉर्ड समय में एक नया रेल फिनिशिंग कॉम्प्लेक्स स्थापित कर उसे चालू किया। तब तक भारतीय रेल, बीएसपी से लगभग 4.5 लाख टन रेल प्रतिवर्ष खरीदती थी। उस वर्ष में, नए रेल फिनिशिंग कॉम्प्लेक्स की सहायता से बीएसपी, भारतीय रेलवे की बढ़ी हुई आवश्यकता को पूरा करने के लिए 6 लाख टन से अधिक की आपूर्ति कर सका। 2004 में, बीएसपी ने अपने रेल और स्ट्रक्चरल मिल से 130 और 260 मीटर लंबे वेल्डेड रेल पैनलों की आपूर्ति के लिए दुनिया की सर्वोत्तम प्रौद्योगिकी और उपकरणों के साथ लॉन्ग रेल कॉम्प्लेक्स की स्थापना की।
भिलाई इस्पात संयंत्र ने अपने आधुनिक यूनिवर्सल रेल मिल (यूआरएम) से दुनिया की सबसे लंबी 130 मीटर लंबी रेल को सिंगल पीस में बनाता है। भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए सेल के आधुनिकीकरण योजना के तहत, लगभग 1200 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित यूआरएम का उद्घाटन जनवरी 2017 में किया गया था, ताकि रेलवे की लंबी और विशेष ग्रेड रेल की बढ़ती आवश्यकता को पूरा किया जा सके। विश्व स्तरीय रेल वेल्डिंग के लिए सिद्ध तकनीक के साथ, यूआरएम 130 मीटर लंबी रेल को वेल्ड करने के लिए पूरी तरह से स्वचालित फ्लैश बट वेल्डिंग मशीन और पूरी तरह से स्वचालित लॉन्ग रेल हैंडलिंग सुविधा से युक्त है।
सेल-बीएसपी लॉन्ग रेल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए जहाँ सभी प्रयास कर रही है, वहीँ रेल स्टील की गुणवत्ता के संबंध में इसने रेल स्टील में हाइड्रोजन की मात्रा को भी 1.5 पीपीएम से कम पर सीमित रखा है। भिलाई इस्पात संयंत्र में उत्पादित प्रत्येक रेल का निरीक्षण रेलवे द्वारा नियुक्त तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेंसी मेसर्स राइट्स द्वारा किया जाता है। मेसर्स राइट्स के कर्मचारी रेल इस्पात निर्माण की पूरी प्रक्रिया पर सतर्क होकर नजर रखते हैं।
खुद को आधुनिक बना रही भारतीय रेलवे और अधिक एक्सल लोड के साथ तेज रेल परिवहन के लिए उपयुक्त रेल की जरूरतों को पूरा करने सेल से माइक्रो-अलॉयड रेल और हीट-ट्रीटेड रेल दोनों की मांग कर रही थी। माइक्रो-अलॉयड रेल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने नए 60 ई1 प्रोफाइल के साथ आर-260 नामक रेल का एक नया ग्रेड विकसित किया है, जिसे जुलाई 2022 से भारतीय रेलवे को आपूर्ति की जा रही है। रेल के इस नए ग्रेड के मानदंड और स्पेसिफिकेशन, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा पूर्व में उत्पादित ग्रेड-880 या यूटीएस-90 रेल और यूरोपीय मानकों से भी अधिक कड़े हैं। रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल और यूनिवर्सल रेल मिल दोनों अब नए 60ई1 प्रोफाइल में हाई स्ट्रेंथ वाली रेल आर-260 माइक्रो-अलॉयड रेल का उत्पादन कर रहे हैं, जो हायर एक्सल लोड तथा ट्रैफिक डेनसिटी को झेलने में सक्षम है और फॉर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए भी उपयुक्त है। रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल और यूनिवर्सल रेल मिल दोनों भारतीय रेलवे को 260 मीटर लंबे वेल्डेड रेल पैनल की आपूर्ति करते हैं।
माइक्रो-अलॉयड R260 ग्रेड रेल के नियमित उत्पादन के साथ-साथ, प्लांट की यूनिवर्सल रेल मिल अब भारतीय रेलवे की मांग के अनुसार हीट-ट्रीटेड रेल का भी उत्पादन करती है। ये विशेष ग्रेड हीट-ट्रीटेड रेल रेल परिवहन के उन हिस्सों के लिए सबसे उपयुक्त हैं जहाँ एक्सल लोड अधिक होता है और ट्रेन द्रुत गति पकडती है और तेजी से रूकती है, जिससे पहियों और रेल के बीच घर्षण अधिक होता है। बीएसपी ने आयात किए जा रहे स्विच के लिए थिक वेब एसिमेट्रिकल रेल की भी आपूर्ति की है। बीएसपी ने तटीय क्षेत्रों के लिए निकेल-कॉपर-क्रोमियम (एनसीसी) जंग प्रतिरोधी रेल का भी उत्पादन और आपूर्ति की है, जो सफलतापूर्वक फील्ड ट्रायल से गुज़री है।
दिसंबर 2022 में, सेल-बीएसपी ने पश्चिम रेलवे के साबरमती वेल्डिंग प्लांट को अपने अधिकार में ले लिया। प्लांट चालू होने के चरण में, कई चुनौतियों को पार करने के बाद, 18 अक्टूबर 2023 को एफबीडब्ल्यूपी-साबरमती से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो गया। प्लांट की कमीशनिंग, वेल्डिंग मापदंडों के मानकीकरण और एफबीडब्ल्यूपी साबरमती प्लांट को शुरू करने में मदद के लिए बीएसपी और आरडीसीआईएस-रांची की कई टीमों को तैनात किया गया था। एफबीडब्ल्यूपी, साबरमती में वेल्डिंग के लिए इनपुट रेल की आपूर्ति बीएसपी के रेल और स्ट्रक्चरल मिल से की जा रही है। साबरमती में एफबीडब्ल्यूपी सुविधाओं का उपयोग करके, भिलाई स्टील प्लांट से लंबी रेल पैनल की आपूर्ति की मात्रा में वृद्धि हुई है। यह उल्लेखनीय है कि यूनिवर्सल रेल मिल, रेल और स्ट्रक्चरल मिल तथा साबरमती फ्लैश बट वेल्डिंग प्लांट में रेल पैनलों के प्रत्येक वेल्ड जोड़ को चरणबद्ध ऐरे अल्ट्रासोनिक परीक्षण (पीएयूटी) से गुजरना पड़ता है। इस आधुनिक तकनीक का उपयोग वेल्ड जोड़ों में किसी भी प्रकार के दोष का पता लगाने और उसकी छवि बनाने के लिए किया जाता है।
संक्षेप में कहा जाये तो सेल के भिलाई इस्पात संयंत्र ने रेलवे की पटरियों को बदलने और आधुनिकीकरण की हर आवश्यकता को पूरा किया है। 45 किग्रा रेल से 52 किग्रा और फिर 60 किग्रा रेल, यूटीएस 72 से यूटीएस 90 तथा आर-260 ग्रेड रेल, रेल स्टील में हाइड्रोजन सामग्री को 3 पीपीएम से घटाकर 1.5 पीपीएम करना, आपूर्ति की जाने वाली रेल की लंबाई 13 मीटर से 26 मीटर से बढ़ाना और इसे बढ़ाकर 130 मीटर और 260 मीटर वेल्डेड रेल पैनल बनाना, आधुनिक परीक्षण सुविधाओं के साथ रेल फिनिशिंग टेक्नोलॉजी में नवीनतम उपयोग करना, 2004 में अपने रेल और स्ट्रक्चरल मिल में लॉन्ग रेल कॉम्प्लेक्स की स्थापना करना, एक बिल्कुल नया और आधुनिक वेल्डिंग कॉम्प्लेक्स स्थापित करना, नए और आधुनिक यूनिवर्सल रेल मिल से सिंगल पिस में 130 मीटर लंबाई की दुनिया की सबसे लंबी रेल तैयार करना और तटीय क्षेत्रों के लिए संक्षारण प्रतिरोधी रेल सहित रेल के नए ग्रेड विकसित करना, आयात किए जा रहे थिक-वेब एसीमेट्रिक रेल तथा हाई स्ट्रेंथ वाली रेल जैसे माइक्रो-अलॉयड आर-260 ग्रेड रेल जो अधिक एक्सल लोड और ट्रैफिक डेनसिटी को झेलने में सक्षम है, तथा आर 350 हीट ट्रीटेड (एचटी) रेल के साथ, सेल के भिलाई इस्पात संयंत्र ने रेलवे की पटरियों को बदलने और आधुनिकीकरण की हर आवश्यकता को पूरा किया है।
भारतीय रेलवे को आपूर्ति की जाने वाली रेल की मात्रा के संदर्भ में, भिलाई इस्पात संयंत्र ने रेलवे को आपूर्ति में लगातार वृद्धि की है। वित्त वर्ष 2023-24 में, संयंत्र ने कुल लंबी रेल उत्पादन का 10.20 लाख टन दर्ज करते हुए अब तक का सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड बनाया है। वर्ष के दौरान भारतीय रेलवे को लंबी रेल की 1082 रेक भेजी गईं, जबकि 2022-23 में 1000 रेक भेजी गई थीं। सेल-बीएसपी द्वारा अब तक उत्पादित कुल रेल को यदि एक के साथ एक जोड़ कर एक लाइन में रखें तो यह पृथ्वी का 15 बार से अधिक परिक्रमा लगा सकती है।
सेल अब भिलाई इस्पात संयंत्र में एक नई और आधुनिक यूनिवर्सल रेल और स्ट्रक्चरल मिल स्थापित करने की योजना बना रहा है, जिसका उद्देश्य सेल की लंबी रेल, हीट ट्रीटेड रेल और थिक वेब एसीमेट्रिक रेल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है। प्रस्तावित नई मिल निर्माण क्षेत्र सहित भारी संरचनाओं में में उपयोग के लिए बीम की बढ़ती मांग को भी पूरा करेगी।