पहलवानी छोड़ राजनीति में एंट्री करने वाली विनेश फोगाट भले ही पेरिस ओलंपिक में मेडल जीतने से चूक गई हों लेकिन वह चुनाव में चमक गई हैं। विनेश फोगाट ने जुलाना विधानसभा सीट अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी योगेश बैरागी से 6015 वोट से जीत ली। विनेश और योगेश को छोड़कर बाकी सभी की जमानत जब्त हो गई। हालांकि इन चुनावों में विनेश और योगेश में मुकाबला बराबरी का रहा, विनेश कई बार आगे पीछे होती रही लेकिन आखिर में उनकी झोली में ही सीट की जीत आई।
महज दो महीने में विनेश पहलवानी छोड़ सफल राजनेता कैसे बन गईं इसकी कहानी भी उनकी जीत की तरह है। विनेश फोगाट 7 अगस्त को पेरिस ओलंपिक के फाइनल मुकाबले में 100 ग्राम ज्यादा वजन होने के कारण मेडल से चूक गई थीं। सोशल मीडिया पर उनके लिए फैंस की भावनाएं नजर आई। हर कोई विनेश के साथ खड़ा नजर आ रहा था। कोर्ट ऑफ स्पोर्ट्स एट्रीब्यूशन में आखिरी उम्मीद टूटने के बाद विनेश जब भारत लौटीं तो दिल्ली एयरपोर्ट पर ही एक तरह से उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हो गई थी।
एयरपोर्ट पर विनेश को लेने कई लोग पहुंचे इनमें बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विजेंदर सिंह शामिल थे। जबकि हरियाणा के कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा भी एयरपोर्ट पर विनेश के साथ नजर आए। सिर्फ इतना ही नहीं विनेश जब अपने चाहने वालों को शुक्रिया कहने गाड़ी पर चढ़ीं तब दीपेंद्र हुड्डा भी उनके साथ नजर आए। ये रैली लगभग 14 घंटे बाद विनेश के गांव बलाली जाकर खत्म हुई। दीपेंद्र हुड्डा की मौजूदगी ने ही विनेश फोगाट के राजनीति में शामिल होने की खबरों को हवा दी।
इसके बाद 6 सितंबर का वो दिन था जब विनेश ने कांग्रेस का दामन थामा और जुलाना से कांग्रेस प्रत्याशी बन कर चुनाव लड़ने का ऐलान हुआ। पूरा एक महीना विनेश ने रैलियां करके बिताया। मैट पर पसीना बहाने वाली विनेश धूप और गर्मी में कांग्रेस के लिए वोट मांगती नजर आईं।