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भागवत राम नेताम: सफलता और संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी

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भिलाई के मिल्खा सिंह

जब हम सफलता की कहानियाँ सुनते हैं, तो हमें अक्सर उन लोगों की यात्रा पर ध्यान जाता है जिन्होंने अपार संघर्षों को पार कर ऊँचाइयों तक पहुँचने का साहस और धैर्य दिखाया। ऐसी ही मैराथन के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक कहानी छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के छोटे से गाँव हथौद से निकलकर आती है। मैरेथॉन, एक ऐसा खेल जिसमें शारीरिक क्षमता, मानसिक दृढ़ता की आवश्यकता होती है। ये कहानी है बीएसपी (भिलाई इस्पात संयंत्र) में इंजीनियरिंग एसोसिएट के पद पर कार्यरत श्री भागवत राम नेताम की। उनका जीवन एक सजीव उदाहरण है कि यदि आत्मविश्वास और मेहनत हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

भागवत राम नेताम का जन्म 10 दिसंबर 1971 को बालोद जिले के हथौद गाँव में हुआ। 53 वर्षीय भागवत की यात्रा आज युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है। भागवत राम नेताम को उनके स्कूल के दिनों से ही दौड़ने का शौक था, लेकिन शुरुआत में उन्हें उतने मौके नहीं मिले। जो कभी खुद को सामान्य मानते थे, अब अपने संघर्षों और जोश के साथ हजारों लोगों के बीच एक उदाहरण बन चुके हैं। उनकी यात्रा 1993-94 में बीएसपी में ट्रेड अप्रेंटिस के रूप में शुरू हुई। शुरुआत में, इससे पहले उनके पास पर्याप्त साधन नहीं थे और अवसर भी सीमित थे, लेकिन उनके पास उनका आत्मविश्वास, उनका जुनून और मेहनत करने की अडिग इच्छाशक्ति। बीएसपी में शामिल होने के बाद, उन्हें खेलों में भाग लेने के कई अवसर मिले। बीएसपी के खेल आयोजनों ने उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका दिया।

श्री भागवत राम नेताम मैरेथॉन धावक अपने सपनों को पूरा करने के लिए बीएसपी में ड्यूटी करते हुए रोज़ाना घंटों तक कड़ी मेहनत करते हैं। उन्होंने बताया कि बीएसपी में ज्वाइन करने के बाद उन्हें संसाधन, मार्गदर्शन और अपने अधिकारियों से उन्हें निरंतर प्रोत्साहन मिलता रहा, साथ ही खेलों में रुचि और परिवार का समर्थन उन्हें हमेशा प्रेरणा देता है। उन्होंने क्रॉस कंट्री दौड़ों में लगातार भाग लिया और शानदार सफलता प्राप्त की। उनका यह संघर्ष केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं था, बल्कि उनके परिवार, कोच और दोस्तों का भी इसमें पूरा योगदान था।

भागवत राम नेताम ने 15 दिसंबर 2024 को नया रायपुर सोल्जरथॉन में 21 किलोमीटर की दौड़ में भाग लिया। इस प्रतियोगिता में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और उन्हें सम्मान स्वरूप 7000 रुपये, एक ट्रॉफी और गिफ्ट हैंपर दिया गया। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ सहयोगी साख समिति मर्यादित, भिलाई नगर द्वारा भी उन्हें प्रतिभावान खिलाडी के रूप में विशेष सम्मान प्राप्त हुआ। यह उनकी मेहनत और संघर्ष का फल था, जो उन्होंने अपने परिवार और मार्गदर्शकों की मदद से प्राप्त किया।

इनका समर्पण उनके परिवार के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन चूका है। यह परिवार न केवल खुद को फिट और स्वस्थ रखता है, बल्कि दूसरों को भी यह समझाता है कि अगर आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए ईमानदारी से मेहनत करें, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। एक ऐसा अनूठा परिवार, जिसमें हर सदस्य किसी न किसी श्रेणी के दौड़ या खेल में भाग लेता है, और अपने अद्वितीय जोश और उत्साह से लोगों को प्रेरित करता है। उनकी पत्नी, बेटा और बहू भी ‘रन फॉर सेल’ जैसे कार्यक्रमों में के विजेता रह चुके हैं। यह परिवार यह संदेश देता है कि जीवन में अगर इच्छाशक्ति हो, तो किसी भी उम्र का व्यक्ति किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकता है। चाहे वह 75 वर्षीय दादी हो, जो हर सुबह पार्क में दौड़ लगाने निकलती हैं, या फिर 10 वर्षीय बच्चा, जो अपनी स्कूल टीम के लिए एथलेटिक्स में मेडल जीतता है। इस परिवार का प्रत्येक सदस्य अपनी मेहनत और समर्पण से यह साबित करता है कि खेल में केवल शारीरिक ताकत का नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता का भी महत्वपूर्ण स्थान है। उनका यह उत्साह और संघर्ष हर किसी को यह एहसास कराता है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, और असली जीत हमारी इच्छाशक्ति में छुपी होती है।

भागवत राम नेताम ने बताया कि उनकी सफलता में उनके मार्गदर्शक, सेल अकेडमी भिलाई के कोच अनिरुद्ध का अहम योगदान हैं, जो एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वाकर हैं। वे कहते हैं कि अनिरुद्ध के साथ उनकी यात्रा ने उन्हें खेल के महत्वपूर्ण बारीकियों और जीवन के कई पहलुओं को समझने का मौका दिया और सफलता की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। साथ ही शिवकुमार भंडारी ने भी उनका भरपूर सहयोग दिया है।

भागवत राम नेताम की यात्रा हमें यह सिखाती है कि अगर हमारी मेहनत सच्ची हो और हम अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हों, तो मुश्किलें सिर्फ अस्थायी होती हैं। उनका जीवन यह प्रमाणित करता है कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, और सफलता अपने आप हमारे कदमों में आकर खड़ी हो जाती है। भागवत राम नेताम की तरह हम सभी को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित होना चाहिए। उनका जीवन हमें यह याद दिलाता है कि असली सफलता सिर्फ अवसरों में नहीं, बल्कि मेहनत, संघर्ष और निरंतर प्रयासों में छिपी होती है।

भागवत राम नेताम बताते हैं कि वे अपने पूरे गोड़ समुदाय और विशेष कर अपने समुदाय के युवाओं को उनकी शारीरिक बनावट और अपार मजबूती की वजह से दौड़ने के लिए प्रेरित करते हैं, क्योंकि यह समुदाय सदियों से अपनी शारीरिक ताकत और सहनशक्ति के लिए प्रसिद्ध रहा है। उनका मानना है कि अगर किसी के पास सही मानसिकता और प्रेरणा हो, तो कोई भी दौड़, चाहे वह कितनी भी कठिन क्यों न हो, उसे जीता जा सकता है। गोड़ समुदाय के लोग स्वाभाविक रूप से तेज और मजबूत होते हैं, और अगर उन्हें सही दिशा मिल जाए, तो वे किसी भी दौड़ या खेल में शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं। वे कहते हैं कि हम सभी अपने अद्वितीय शारीरिक गुणों का सही उपयोग करें और देश का नाम रौशन करें।

यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर किसी को कुछ हासिल करना है, तो उसमें मेहनत, समर्पण और धैर्य की आवश्यकता होती है। यह केवल खेल नहीं है, बल्कि जीवन की एक सच्ची प्रतीकात्मकता है, जो हमें बताती है कि जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे करना चाहिए।


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