सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भूमि के क्षेत्र और औसत उत्पादन के हिसाब से साख सीमा यानी उधार देने की सीमा का निर्धारण किया जाता है। जैसे-जैसे खाद-बीज सहित खेती से जुड़े कामों की लागत बढ़ रही है, उसे देखते हुए इसमें भी वृद्धि की जा रही है।