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एक दुसरे की संस्कृति को समझेंगे और सम्मान करेंगे तभी सशक्त भारत का निर्माण होगा -राज्यपाल श्री डेका

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रायपुर

राजभवन में आज अरूणाचल प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा राज्यों का स्थापना दिवस हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। राज्यपाल श्री रमेन डेका ने इस अवसर पर कहा कि जब हम एक-दूसरे की संस्कृति को समझेंगे, स्वीकार करेंगे और उसका सम्मान करेंगे तभी सशक्त भारत का निर्माण होगा।

केन्द्र सरकार के “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम के तहत यह आयोजन किया गया था जिसमें छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले इन राज्यों के लोगों ने  उत्साह के साथ भाग लिया। राज्यपाल ने स्थापना दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी।

कार्यक्रम में राज्यपाल श्री रमेन डेका ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल पर शुरू किए गए ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘ कार्यक्रम हमें आपसी सांस्कृतिक आदान-प्रदान आर्थिक सहयोग और राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की विविधता यहां के खान-पान, पहनावे, परंपराओं, रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों में देखी जा सकती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषाओं की विविधता देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है।

राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि ‘‘राजाओं की भूमि‘‘ के रूप में जाना जाने वाला राजस्थान अपने शाही इतिहास, भव्य किलों और महलों के साथ भारतीय वीरता और सांस्कृतिक गौरव की कहानियों को संरक्षित किए हुए है। इस राज्य के लोग बहुत मेहनती होते है। यहां के लोग अपनी मेहनत और लगन के बल पर आर्थिक उन्नति कर रहें और देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ सहित देश के सभी राज्यों में वाणिज्य और व्यापार के क्षेत्र में मारवाड़ी समाज ने अभूतपूर्व योगदान दिया है। राजस्थान के लोग जहां भी जाते है वहां की संस्कृति में घुल मिल जाते है। उन्होंने कहा कि माउंटआबू में स्थित दिलवाड़ा जैन मंदिर शिल्पकला का एक अदभुत नमूना है, भारत में ऐसा कहीं नहीं है।

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़िया और उड़िया भाई-भाई हैं। दोनों राज्यों की संस्कृति एक-दूसरे से बहुत मिलती-जुलती है। छत्तीसगढ़ में 35 लाख ओड़िया भाई रहते है। ओडिशा राज्य के नागरिक विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर कृषि और खनन में अपनी विशेषज्ञता के साथ छत्तीसगढ़ आए हैं। उनके कृषि ज्ञान और कौशल ने छत्तीसगढ़ की मदद की, जबकि खनन में उनके अनुभव ने राज्य में खनन उद्योग के विकास में मदद की। इसके अलावा, ओडिशा के नागरिकों ने अपने अनूठे त्योहारों, नृत्य रूपों और हस्तशिल्प से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता को समृद्ध किया है।

श्री डेका ने अरूणाचल प्रदेश की विशेषताओं का जिक्र किया और कहा कि अरूणाचल प्रदेश की संस्कृति विशिष्ट है क्योंकि इसमे 26 विभिन्न जनजातियों सहित 100 से अधिक उप जातियों की संस्कृतियां समाहित है। प्रत्येक जनजाति अपनी-अपनी परंपराओं और रीति रिवाजों का पालन करती। यहां हिन्दू, बौद्ध, ईसाई समुदाय के लोग भी मिलजुल कर रहते है। उन्होंने कहा कि अरूणाचल प्रदेश को पारंपरिक शिल्प कौशल का उपहार प्राप्त है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहा है।

कार्यक्रम में उपस्थित इन राज्यों के बच्चों एवं युवाओं ने अपने राज्य की संस्कृति एवं लोक परंपरा आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। ओडिया नृत्य, घूमर एवं अन्य राजस्थानी लोक नृत्य सहित अरूणाचल प्रदेश के जीवंत नृत्य ने दर्शकों का मन मोह लिया।

ओडिशा राज्य के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित विधायक श्री पुरंदर मिश्रा, राजस्थान के प्रतिनिधि श्री महेन्द्र धाड़ीवाल और अरूणाचल प्रदेश की प्रतिनिधि सुश्री वन्नाहंकु ने राज्यपाल को अपने राज्य की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। राज्यपाल द्वारा भी राजकीय गमछा पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

कला केन्द्र के कलाकारों को राज्यपाल ने दिया स्वेच्छानुदान राशि

कार्यक्रम में कला केंद्र रायपुर के वायलिन वादक बच्चों श्री आरिव झा और अमेय शर्मा ने वायलिन पर राग बैरागी भैरव की प्रस्तुति की। राज्यपाल ने उनकी प्रस्तुति की सराहना की और  इन बच्चों सहित अन्य वायलिन वादक बच्चों श्री धनंजय साहू और श्री देवव्रत कहार, प्रत्येक को एक-एक हजार रूपये की राशि तथा कला केंद्र रायपुर संस्था को दस हजार रूपये की राशि अपने स्वेच्छानुदान मद से प्रदान की।

कार्यक्रम में राज्यपाल के विधिक सलाहकार श्री भीष्म प्रसाद पाण्डेय, उप सचिव  श्रीमती हिना अनिमेष नेताम, इन सभी राज्यों के छत्तीसगढ़ में निवासरत, बच्चे, युवा, महिलाएं एवं गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।


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