प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्रोएशिया यात्रा भारत की वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखी जा रही है। यह यात्रा न केवल भारत-क्रोएशिया द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में एक ठोस कदम रही, बल्कि यूरोपीय संघ के भीतर भारत की भूमिका को और अधिक सशक्त बनाने की रणनीति का हिस्सा भी है।
हम आपको बता दें कि क्रोएशिया भले ही क्षेत्रफल और आबादी में एक छोटा देश हो, लेकिन यह भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह यूरोपीय संघ (EU) और नाटो (NATO) दोनों का सदस्य है, और बाल्कन क्षेत्र में इसकी स्थिति इसे यूरोप के दरवाज़े के रूप में प्रस्तुत करती है। भारत के लिए क्रोएशिया के साथ मज़बूत संबंध बनाना न केवल यूरोपीय बाजारों तक बेहतर पहुँच देता है, बल्कि पश्चिमी बाल्कन में स्थिरता और निवेश के नए अवसर भी खोलता है।