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दिव्यांग श्रीमती श्यामकली के जीवन को बिहान योजना से मिली नई दिशा : जूट बारदाना सिलाई कर बनाया पक्का मकान

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    रायपुर, 30 दिसम्बर 2020

प्रेरणा और प्रोत्साहन से असंभव भी संभव हो जाता है। इसकी एक मिसाल हैं,राजनांदगांव जिले के छुरिया विकासखंड के ग्राम अछोली की दिव्यांग श्रीमती श्यामकली बंजारे। वे पैरों से निःशक्त हैं एवं उनके पति भी दोनों हाथों से दिव्यांग हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय थी, दो वक्त की रोटी निकालना भी कठिन था। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के बिहान से उन्हें अपने हौसलों से खड़े होने की प्रेरणा दी, जिससे उनके जीवन को नई दिशा मिल गई है। अब श्रीमती श्यामकली एक फैक्ट्री में बारदाना सिलाई का काम करती है। उनकी आमदनी से परिवार का पालन पोषण अच्छे से होता है। आज वे अपने खुद का पक्का मकान बना चुकी है एवं लगभग 48 हजार रूपए वार्षिक आमदनी के साथ खुशहाल जीवन यापन कर रही हैं।
    श्रीमती श्यामकली बंजारे ने बताया कि उनके पति के नाम से आधा एकड़ जमीन है लेकिन इससे परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पाता था। शारीरिक अपंगता के कारण उन्हें कोई भी काम आसानी से नहीं मिल पाता था। उनकी कच्ची झोपड़ी में बरसात के दिनों में छत से पानी टपकने से कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था, उनके लिए तो घर बनवाना एक सपना के समान था। बिहान से जुड़कर श्रीमती श्यामकली बंजारे के जीवन में परिवर्तन आया और वह अपने परिवार के लिए आजीविका का साधन जुटा सकीं। उन्होंने जूट बारदाना सिलाई का कार्य करना शुरू किया और उनके पति गांव में ही नल ऑपरेटर का काम करने लगे, जिससे उनके आमदनी में वृद्धि हुई।
    । वे अपने स्वयं की आमदनी से उस बैंक ऋण राशि को आसानी से चुका रही हैं। उन्होंने बताया कि पहले विकट परिस्थिति आने पर साहूकारों से अत्यधिक ब्याज में कर्ज लेना पड़ता था। इसमें मूल राशि से भी ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता था। लेकिन बिहान योजना से जुड़ने से उन्हें जरूरत पड़ने पर समूह एवं बैंक के माध्यम से बहुत ही कम ब्याज दर पर आसानी से विŸाीय मदद मिल जाती है। जिससे वह अपना काम आसानी से कर पा रही हैं।
    श्रीमती श्याम कली ने बताया कि उनको महिलो समूहांे की बैठकों एवं आयोजन में शामिल होने का अवसर प्राप्त होने से विŸाीय प्रबंधन और गांव में संचालित होने वाले विभिन्न शासकीय योजनाओं के बारे में जानने व समझने का अवसर मिला जिसका लाभ उन्हें अपने काम को बेहतर बनाने में हो रहा है। बिहान से जुड़कर वह अपनी शारीरिक अपंगता को भुलाकर घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए आजीविका का साधन बना र्पाइं। अपनी शारीरिक निःशक्तता के बावजूद अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारकर अपने जीवन स्तर में बदलाव कर आज वे गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणाóोत बनी हुई हैं। श्रीमती श्यामकली बंजारे ने कहा कि बिहान से जुड़ने के बाद उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई और समूह बैठक, बचत के माध्यम से क्षमता विकास हुआ। उन्होंने महिला समूह एवं बैंक लिंकेज के माध्यम से प्राप्त राशि को आजीविका कार्य में उपयोग करके अपनी एक निश्चित आमदनी बना ली है। इस आमदनी से उन्होंने अपने लिए पक्का मकान बना लिया


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