नई दिल्ली,10 दिसम्बर | Sharirik samasyaen माता-पिता अक्सर यह जानने की कोशिश में रहते हैं कि किशोर अवस्था के उनके बच्चों के दिमाग में क्या चल रहा है।
चेन्नई के एक बाल चिकित्सक ने अपने अध्ययन में इसका जवाब ढूंढ निकाला है।
डॉ. वायएस यमुना के अनुसार , लड़के अपनी लैंगिकता को लेकर चिंतित रहते हैं, जबकि लड़कियों को अकेलेपन की चिंता ज्यादा सताती है।
मेडिकल जर्नल (Sharirik samasyaen) ‘इंडियन पीडियाट्रिक्स ‘ के ताजा अंक में प्रकाशित इस अध्ययन में किशोर बच्चों द्वारा अपनी जिज्ञासाओं के संबंध में भेजे गए 1544 ई – मेल को आधार बनाया गया है।
विभिन्न राज्यों से भेजे गए इन ई-मेल में बच्चों से लैंगिकता और सेक्स से जुड़ी अपनी जिज्ञासाओं के बारे में खुलकर सवाल किए गए।
ई- मेल के जरिए 75 प्रतिशत लड़कों और 25 फीसदी लड़कियों ने अपनी यौन क्षमताओं, (Sharirik samasyaen) शारीरिक विकास, कॅरियर संबंधों के विकल्पों और स्वास्थ्य संबंधी प्रश्न पूछे थे।
अध्ययन में 13 प्रतिशत लड़कियों ने सेक्स संबंधी प्रश्न पूछे ,लेकिन किसी ने भी गर्भ निरोधकों के बारे में कोई जानकारी नहीं मांगी। इससे किशोरों में जोखिम लेने की प्रवृत्ति झलकती है।