Home देश महिलाओं और बच्चों में थायरॉइड रोग होने का अधिक खतरा

महिलाओं और बच्चों में थायरॉइड रोग होने का अधिक खतरा

94
0
Spread the love

इन दिनों थायरॉइड की समस्या आम हो गई है. आंध्र प्रदेश में हर 10 में से कम से कम एक व्यक्ति इससे प्रभावित है. 8 में से एक महिला को थायरॉइड की समस्या है. एक आंकड़े के मुताबिक लगभग 42 मिलियन भारतीय थायरॉइड विकारों से प्रभावित हैं. आज यानी 25 मई को विश्व थायरॉइड दिवस, है. इस मौके पर देश भर में थायरॉइड से जुड़े रोग और इसकी रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है.

थायरॉइड हार्मोन किसी भी इंसान के विकास, न्यूरोनल विकास, और प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. थायरॉइड विकार सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करते हैं. इस बीमारी से पीड़ित 50 प्रतिशत तक लोग इससे अनजान होते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायरॉइड की समस्या होने की संभावना पांच से आठ गुना अधिक होती है.

महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा
थायरॉइड विकार महिलाओं के मेंस्ट्रुअल साइकिल को प्रभावित कर सकते हैं और उनकी प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं. गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड की समस्या मां और बच्चे दोनों के लिए स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है. डब्ल्यूएचओ पर्याप्त थायराइड हार्मोन उत्पादन को बनाए रखने के लिए गर्भावस्था के दौरान एक दिन में 250 माइक्रोग्राम आयोडीन का सेवन करने की सलाह देता है. आहार आयोडीन के सामान्य स्रोत पनीर, गाय का दूध, अंडे, दही, खारे पानी की मछली और सोया दूध हैं.

इस उम्र के लोगों को ज्यादा खतरा
अंग्रेजी अखबार न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक आंध्र प्रदेश के नेल्लोर क्षेत्र में 2010 में किए गए एक अध्ययन में ये पाया गया कि टीपीओएबी (एक थायरॉयड एंटीबॉडी) 26 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है. टीपीओएबी की उपस्थिति आमतौर पर थायरॉयड रोग के विकास से पहले होती है. जनवरी 2013 से दिसंबर 2015 के मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश में थायरॉइड डिसफंक्शन के स्पेक्ट्रम पर 2018 में आयोजित एक अस्पताल-आधारित पूर्वव्यापी अध्ययन में, 43.7% महिलाओं में थायरॉयड पाई गई.


Spread the love