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122 साल बाद अगस्त सबसे सूखा और गर्म महीना रहा, मप्र में कम बारिश से 32 जिलों में बिगड़े हालात,\

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खरीफ फसलें होने लगी खराब, नदी, बांध और तालाब में भी पानी का स्तर तेजी से हो रहा कम
मप्र में सूखे के आसार
सीएम शिवराज हाथ जोडक़र बोले- बारिश के लिए प्रार्थना करें, 50 साल में ऐसा सूखे का संकट नहीं आया

नई दिल्ली/भोपाल। देश भर में अगस्त 2023 करीब 122 साल बाद सबसे सूखा और गर्म महीना रहा। इस महीने सामान्य की तुलना में 36 प्रतिशत कम बारिश हुई। मौसम विभाग के मुताबिक, साल 1901 में इससे कम बारिश हुई थी। अगस्त की सामान्य बारिश 254.9 मिमी है, लेकिन इस बार केवल 161.7 मिमी बारिश हुई। इस कारण मप्र-छग सहित देश के कई राज्यों में सूखे के हालात हैं। मप्र के करीब 32 जिलों में सूखे की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बारिश के लिए प्रार्थना करने के लिए कहना पड़ा। उन्होंने कहा, मैं रात भर परेशान रहा, क्योंकि पूरा अगस्त सूखा गया। इस कारण बांध पूरे नहीं भरे। बिजली की डिमांड भी एकदम बढ़ गई है, क्योंकि फसलें अगर बचाना है तो पानी देना है। ऐसी डिमांड आज तक कभी नहीं आई।
मुख्यमंत्री ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि हम भरसक कोशिश कर रहे हैं अपनी तरफ से कि चीजें ठीक रहें, लेकिन यह स्थिति संकट की है। 50 साल में ऐसा संकट सूखे का नहीं आया। अभी भादौ चल रहा है। मैं भी भगवान से प्रार्थना करूंगा, आप भी प्रार्थना करें कि बारिश एक बार जरूर हो जाए, ताकि हम फैसले बचा सकें और बाकी व्यवस्थाएं भी ठीक चलती रहें।

3 साल से सितंबर में अच्छा बरस रहा मानसून
मप्र में मानसून के लिहाज से सितंबर का महीना भी खास रहता है। जुलाई-अगस्त के बाद बचा कोटा सितंबर की बारिश पूरा कर देती है। पिछले 10 में से 5 साल बारिश ने सितंबर का कोटा पूरा किया है, लेकिन इस बार ऐसी उम्मीद नहीं है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो अबकी बार सामान्य की 50 प्रतिशत बारिश होने का ही अनुमान है। इसकी वजह स्ट्रॉन्ग सिस्टम का एक्टिव नहीं होना है। सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह के अनुसार 4 से 5 सितंबर के आसपास बंगाल की खाड़ी में सिस्टम एक्टिव हो रहा है। 6 से 7 सितंबर तक लो प्रेशर एरिया एक्टिव हो सकता है। इससे पूर्वी हिस्से में मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। यह सिस्टम 18 से 19 सितंबर तक एक्टिव रह सकता है।

मप्र में ओवरऑल 16 प्रतिशत बारिश कम
मप्र में 1 जून से 31 अगस्त तक औसत 26.06 इंच बारिश हो चुकी है, जबकि अब तक 31.16 इंच बारिश होनी चाहिए थी। इस हिसाब से 16 प्रतिशत कम बारिश हुई है। पूर्वी हिस्से में औसत से 13 प्रतिशत और पश्चिमी हिस्से में 20 प्रतिशत बारिश कम हुई है। मौसम विभाग भोपाल के अनुसार, प्रदेश में 24 जून को मानसून एंटर हुआ था। इसके बाद कुछ दिन अच्छा बरसा, लेकिन जुलाई और अगस्त में सामान्य से कम बारिश हुई। यदि सितंबर में 158 मिमी यानी 6 इंच बारिश होने का कोटा पूरा भी हो जाता है तो भी कई जिलों में सामान्य से कम बारिश होगी।

खरीफ फसलें खराब होने की आशंका
कम बारिश के कारण राजधानी के आसपास के जिलों विदिशा, रायसेन, सीहोर, नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल, राजगढ़, गुना, अशोकनगर और सागर में सूखे के आसार नजर आ रहे हैं। इन जिलों में औसत से करीब चालीस फीसद कम बारिश हुई है। इसका असर खरीफ फसलों पर पड़ रहा है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार तीस फीसदी फसल खराब होने की आशंका है। सीहोर जिले में 2.95 लाख हेक्टेयर की जगह लक्ष्य से अधिक 3.16 हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी की गई है। जहां दस हजार हेक्टेयर फसल कीट से तो 25 से 30 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल प्रभावित हो चुकी है। राजगढ़ जिले में इस वर्ष 3 लाख 27 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन बोई है, लेकिन कम वर्षा होने के कारण सोयाबीन की फसलें सूखना शुरू हो गई है।

फसलों पर संकट के बादल
सागर जिले में पांच लाख 43 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसल बोई गई हैं। अल्प वर्षा से सोयाबीन, मक्का, धान सहित अन्य फसलों पर संकट के बादल हैं। बैतूल जिले में चार लाख 41 हजार 700 हेक्टेयर रकबे में खरीफ फसलों की बुवाई की गई है। तेज धूप से जमीन की नमी खत्म हो रही है और दरारें पडऩे लगी हैं। गुना जिले में इस बार 2,28,500 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन बोवनी का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 1,49,926 हेक्टेयर में बोवनी की गई है। मक्का 1,17,916 हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया है। कम बारिश से दोनों ही फसलें खराब होने की स्थिति में हैं। अशोकनगर जिले में इस वर्ष सोयाबीन की बोवनी 2 लाख 60 हजार हेक्टेयर में हुई थी। पानी नहीं गिरने से फसलों को खतरा हो गया है।

सोयाबीन की फसल पर खतरा
नर्मदापुरम संभाग में सोयाबीन फसल का कुल क्षेत्राच्छादन 4 लाख 12 हजार 50 हेक्टेयर है। बारिश नहीं होने सोयाबीन की फसल पर खतरा मंडरा रहा है। विदिशा जिले में इस वर्ष 5 लाख 31 हजार हेक्टेयर में बोवनी हुई है। किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने और गर्मी बढऩे के कारण इल्लियों का प्रकोप शुरू हो गया है। कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फलियां नीचे गिरने लगी है। किसानों की समस्या ये है कि अभी वे नलकूप से भी फसल की सिंचाई नहीं कर सकते। इससे भी फसल खराब होने का डर है। राजगढ़ जिले में इस वर्ष 3 लाख 27 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन बोई है। कम वर्षा होने के कारण सोयाबीन की फसलें सूखना शुरू हो गई है। धूप के कारण तने सूखने लगे हैं। कमोवेश यहीं स्थिति हरदा व रायसेन जिले की भी है।

2005 का रहा था सबसे सूखा
भारत में अभी तक सबसे सूखा अगस्त महीना 2005 का रहा था, जब केवल 191.2एमएम बारिश हुई थी। यह सामान्य से 25 प्रतिशत कम थी। इस साल अगस्त में कम बारिश होने का नतीजा यह है कि मानसून सीजन के 3 महीने बीतने पर भी बारिश सामान्य से 10 प्रतिशत कम है। जबकि जुलाई खत्म होने पर सीजन की बारिश 5 प्रतिशत ज्यादा थी। सितंबर में बारिश सामान्य रहने के आसार हैं। अगस्त से बेहतर स्थिति देखने को मिल सकती है।

अगस्त 23 ब्रेक डे वाला महीना भी रहा
महापात्र ने बताया कि अगस्त मानसून के इतिहास में सबसे अधिक 23 ब्रेक डे वाला महीना भी रहा है। 6 से 17 अगस्त के बीच इस महीने का पहला मानसून ब्रेक था, फिर 21 व 22 अगस्त को दूसरा और तीसरा ब्रेक 26 से 31 अगस्त के बीच गुजरा। इससे पहले 2005 में अगस्त महीने में 16 दिन का मानसून ब्रेक रहा था। 3 सबसे कम बारिश के रिकॉर्ड पिछले 4 साल के बीच के ही हैं।

अगस्त में 1 डिग्री ज्यादा था तापमान
महापात्र ने बताया कि इस साल अगस्त का अधिकतम तापमान 32.09 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 1 डिग्री ज्यादा था। दिनभर का औसत तापमान भी 24.73 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जो सामान्य से 0.72 डिग्री ज्यादा है। मानसूनी महीने में गर्मी की हालत यह रही कि इतिहास के पांच सबसे गर्म अगस्त बीते 15 सालों में रहे हैं। वहीं, ढ्ढरूष्ठ के विज्ञानी ओपी श्रीजिथ बताया कि 1901 से 2000 के बीच 100 सालों में अगस्त का तापमान सामान्य से 13 बार ज्यादा रहा है, लेकिन बीते 23 सालों में 20 साल सामान्य से ज्यादा तापमान दर्ज हुआ है।


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