भिलाई
इस्पात नगरी भिलाई के बीएसपी टाउनशिप में एक और चौक का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, जहां भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा 25 मिलियन टन स्टील के संचयी उत्पादन को चिह्नित करने के लिए स्मरणीय प्रतीक के रूप में एक स्मारक स्थापित है। यह उन्नयन एवं सौंदर्यीकरण, शहर की स्वछता, सुंदरता, सड़क सुरक्षा और सड़क यातायात के बेहतर आवागमन को ध्यान में रखते हुए, बीएसपी के नगर सेवा विभाग द्वारा टाउनशिप के चौकों के सौंदर्यीकरण अभियान के अंतर्गत किया जा रहा है। सेंट्रल एवेन्यू के एक चौक में स्टील से बने (25 मिलियन टन) की स्थित आकृति के स्मारक को 7 दिसंबर 1976 को स्थापित किया गया था। इसे बीएसपी द्वारा प्राप्त 25 मिलियन टन के संचयी उत्पादन की उपलब्धि को भिलाई में आयोजित बड़े पैमाने पर आयोजित समारोह के हिस्से के रूप में सेन्ट्रल एवेन्यू पर 2, 4, 5 एवं 6 सेक्टर के बीच प्रतीक चिन्ह के रूप में स्थापित किया गया था।
टाउनशिप के अन्य चौराहों की तरह इस 25 मिलियन टन के चौराहे के सौंदर्यीकरण का काम संयंत्र के नगर सेवाएं विभाग ने गंभीरता से शुरू कर दिया है। स्मारक पर आकर्षक रंग-रोगन के अतिरिक्त, घेरे के अंदर नए सिरे से कालीन घास बिछाई गई है। अन्य चौराहों की तरह, इसमें लगे लोहे की ग्रिल को हटाकर उसकी जगह तीन-स्तरीय कांक्रीट की बाउंड्री बना दी गई है, जिसका रंगरोगन किया गया है।
7 दिसंबर 1976 को स्टील नगरी भिलाई में उत्सव का माहौल था। सम्पूर्ण इस्पात बिरादरी, भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा 25 मिलियन टन स्टील के संचयी उत्पादन का उत्सव मना रहा था। भिलाई स्टेडियम को उत्सव का स्थल के रूप में सजाया गया था। इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, 25 मिलियन टन स्टील के संचयी उत्पादन को चिह्नित करने के लिए, इस स्मारक का अनावरण 7 दिसंबर 1976 को तत्कालीन इस्पात और खान मंत्री श्री चंद्रजीत यादव द्वारा किया गया था।
मध्यप्रदेश राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री श्यामा चरण शुक्ल ने, 7 दिसंबर 1976 को इंदिरा प्लेस में उस समय रामलीला मैदान के नाम से जाना जाने वाले स्थान में 25 दिनों तक चलने वाली औद्योगिक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था। प्रदर्शनी में स्वतंत्रता के बाद से भारत द्वारा किए गए औद्योगिक विकास और प्रगति को दर्शाने वाले कई तरह के स्टॉल लगाये गए थे।
स्टेडियम में आयोजित उत्सव समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शुक्ल मौजूद थे, जबकि समारोह की अध्यक्षता तत्कालीन केंद्रीय इस्पात एवं खान मंत्री श्री चंद्रजीत यादव द्वारा की गई थी। इस समारोह में, सोवियत राजदूत श्री वी एफ माल्टसेव और सोवियत प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व क्र रहे श्री वी ए सर्गेयेव भी मौजूद थे, जो यूएसएसआर मंत्रिपरिषद के तत्कालीन उपाध्यक्ष और विदेशी आर्थिक संबंधों के लिए राज्य समिति के सदस्य भी थे। इस प्रतिनिधिमंडल में यूएसएसआर विदेश मंत्रालय के श्री बोल्डिरेव, यूएसएसआर दूतावास में आर्थिक मामलों के सलाहकार श्री कुजनेत्सोव और अन्य लोग शामिल थे।
नेहरू हाउस ऑफ कल्चर में आयोजित ‘स्टील बैले’ भिलाई में आयोजित 25 मिलियन टन के उत्सव समारोह का सांस्कृतिक आकर्षण बन गया। भिलाई के शौकिया कलाकारों द्वारा प्रस्तुत स्टील बैले एक अनूठा प्रयोग था, जिसमें पारंपरिक नृत्य स्वरूप को एक नया आयाम देने की कोशिश की गई। इस शो को दर्शकों से शानदार प्रतिक्रिया मिली थी।
भिलाई बिरादरी को अपनी शुभकामनाएं देते हुए, भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भिलाई को दिए गए अपने संदेश में कहा, “भिलाई इस्पात संयंत्र ने हमारे आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका नाम भारत के हर घर में जाना जाने लगा है। यह न केवल भारत और सोवियत संघ के मैत्री का प्रतीक है, बल्कि भारी उद्योग में हमारी प्रगति का भी प्रतीक है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि भिलाई इस्पात संयंत्र का संचयी उत्पादन 25 मिलियन टन को पार कर गया है। भिलाई के तकनीशियनों और श्रमिकों को मेरी शुभकामनाएं।”
सोवियत प्रतिनिधिमंडल के नेता श्री सर्गेयेव ने भारतीय श्रमिकों और इंजीनियरों को बधाई दी और कहा कि 25 मिलियन टन का संचयी उत्पादन के रूप में, देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता की प्राप्ति की दिशा में भिलाई का महत्वपूर्ण योगदान है। सोवियत राजदूत श्री माल्टसेव ने भी श्री सर्गेयेव द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं को दोहराया। सेल के तत्कालीन अध्यक्ष श्री आर पी बिलिमोरिया ने भी वर्ष 1976-77 के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रबंधकों, श्रमिकों और बीएसपी यूनियन को बधाई दी।