Home छत्तीसगढ़ सकारात्मक बदलाव के लिए तकनीकी प्रगति को अपनाना, प्रणालीगत सुधारों और क्रॉस-सेक्शनल लर्निंग पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है: आनंद कुमार तिवारी

सकारात्मक बदलाव के लिए तकनीकी प्रगति को अपनाना, प्रणालीगत सुधारों और क्रॉस-सेक्शनल लर्निंग पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है: आनंद कुमार तिवारी

by admin

फरवरी 2022 में सेवानिवृत्त हुए श्री आनंद कुमार तिवारी का मानना है, कि तकनीकी प्रगति को अपनाने के साथ साथ छोटे-छोटे कदमों में प्रणालीगत सुधारों पर ध्यान केंद्रित करके निरंतर सुधार की संस्कृति को बढ़ावा देने से सकारात्मक बदलाव लाना आसान है। उनका यह भी मानना है कि उक्त सुधारों के साथ अधिकारियों के बीच क्रॉस-सेक्शनल लर्निंग को प्रोत्साहित करने से भी भिलाई इस्पात संयंत्र की समग्र सफलता के लिए सकारात्मक बदलाव लाने में काफी मदद मिलेगी।

श्री तिवारी ने रॉ मटेरियल विभाग, डिस्पैच को-ऑर्डिनेशन जैसे विभिन्न विभागों में काम किया और फिर यातायात और डीजल संगठन के प्रमुख मुख्य महाप्रबंधक (यातायात) के रूप में सेवानिवृत्त हुए। श्री तिवारी कहते हैं कि संसाधन प्रबंधन, योजना, संबंधित विभागों और बाहरी हितधारकों के साथ इंटरफ़ेस मुद्दों के संबंध में प्रत्येक विभाग की अपनी चुनौतियाँ हैं।

अपने स्वयं के अनुभव के बारे में, श्री तिवारी कहते हैं कि उन्होंने कार्मिकों और अधिकारियों को नियमित रूप से विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण करा कर उनके क्रॉस-सेक्शनल लर्निंग के माध्यम से विभाग को मजबूत करने के लिए सोच-समझकर निर्णय लिए। उन्होंने कहा, ”यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि तकनीकी हस्तक्षेप, काम को तेज और सक्रिय बनाने में काफी मदद कर सकता है।”

ट्रैफिक विभाग और संयंत्र के लाभ के लिए विभागाध्यक्ष के रूप में उन्होंने जो पहल की, उसके बारे में श्री तिवारी कहते हैं, कि उन्होंने अपनी टीम के साथ कई परियोजनाएं शुरू करने के लिए काम किया, जिससे सुरक्षा, दक्षता और उत्पादकता में सुधार हुआ। हमने संचार और शिक्षा के रचनात्मक तरीकों के माध्यम से सुरक्षित कार्य पद्धतियों को बढ़ावा दिया। हमने हाउसकीपिंग, ट्रैक रखरखाव में सुधार लाया, बेहतर विश्लेषण के लिए जीपीएस-आधारित ट्रैकिंग सिस्टम की शुरुआत की और पुराने आंतरिक वैगनों को नए वैगनों से बदला। हमने निर्धारित समय पर उचित रखरखाव के साथ वैगनों की विश्वसनीयता भी बढ़ाई। हमारे इन प्रयासों ने न केवल विभाग के प्रदर्शन को अनुकूलित किया, बल्कि प्रोडक्शन शॉप्स में होने वाले विलम्ब को कम करके, डिटेंशन समय को कम करके, विलंब शुल्क को कम करके और लॉजिस्टिक प्रबंधन में सुधार करके पूरे संयंत्र की मदद की।

कार्य संस्कृति में सकारात्मक बदलाव लाना: अपने कार्य क्षेत्र में जिन चुनौतीपूर्ण स्थितियों पर काबू पाया, उनके विषय पर श्री तिवारी कहते हैं, कि टी एंड डी संगठन में मुख्य चुनौती है संयंत्र के चारों ओर कर्मचारियों की बड़ी संख्या का समन्वय करना और यह सुनिश्चित करना है कि कंपनी की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए वे सभी कर्मचारी सुरक्षित और कुशल तरीके से एक ही उद्देश्य की दिशा में काम करें। मैंने साप्ताहिक संचार मंच के माध्यम से उनकी जरूरतों को सुनकर, व्यक्तिगत विषयों से लेकर आधिकारिक स्तर तक के कई विषयों को हल करके प्रत्येक शिफ्ट में काम करने के सुरक्षित तरीके का ऑनसाइट प्रशिक्षण लागू करके, सुरक्षा कर्मचारियों की एक समर्पित टीम के माध्यम से उन सुरक्षा पद्धतियों की ऑनसाइट प्रशिक्षण की जांच और उनका मूल्यांकन करके उन तक अपनी पहुंच को मजबूत किया। कर्मचारियों की क्षमता के मूल्यांकन के लिए, लिखित वस्तुनिष्ठ परीक्षण आयोजित किए गए और जो कर्मचारी इसमें पिछड़ गए उन्हें फिर से प्रशिक्षित किया गया। तेज और सुरक्षित कार्य के लिए झंडों और संचार उपकरणों के उपयोग से कर्मचारियों में बड़े पैमाने पर सकारात्मक व्यवहारिक बदलाव लाया गया। हाउसकीपिंग की संस्कृति को बड़े पैमाने पर प्रस्तुत किया गया, जहां सभी ने अपने विचारों के साथ-साथ श्रम-दान में भी भाग लिया।परमानेंट वे टीम ने इसका कुशल नेतृत्व किया और यह टीम की एक स्थायी आदत बन गई। स्वच्छता अभियान का वर्कफोर्स द्वारा सराहना की गई और इसे प्राप्त करने में गर्व महसूस करने की भावना ने सम्पूर्ण यातायात विभाग को एक विशाल परिवार के रूप में बांध दिया। इसके बाद यह ‘जीरो डीस्’ अर्थात् जीरो डिले, डिरेलमेंट एवं डिटेंशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में आधारशिला बन गया। ब्लॉक देने में कोई देरी नहीं होने से ट्रैक के रखरखाव में बड़े पैमाने में सुधार हुआ।

प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: श्री तिवारी ने कहा, कि मेरे अनुभवों ने मुझे सिखाया है कि प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने से न केवल दक्षता बढ़ती है, बल्कि बेहतर निर्णय लेने और पारदर्शिता में भी सुधर होता है। भिलाई इस्पात संयंत्र में वर्तमान में उनके सामानांतर पदों में कार्यरत लोगों के लिए, श्री तिवारी बताते हैं कि कैसे उन्होंने बीएसपी के आंतरिक स्वामित्व के साथ-साथ बाहरी और आने वाले रॉ मटेरियल के प्रत्येक वैगन के लाइफ सायकल के कम्प्यूटरीकरण का कठिन कार्य इन्कॉस के सहयोग से किया। इन् वैगनों द्वारा स्टील की खेप भेजने से लेकर स्क्रैप के साथ मलबा आदि को स्थानांतरित करने तक के कार्य सम्मिलित था। विफलताओं को रोकने के लिए शॉपस् के स्वामित्व वाले वैगनों की त्रैमासिक संयुक्त निरीक्षण भी शुरू किया गया था। इन्कॉस द्वारा स्थापित सर्वर पर अपनी वेबसाइट लॉन्च करने वाले पहले विभागों में ट्रैफिक विभाग शामिल था। प्रत्येक अनुभाग से वेबसाइट पर डेटा प्रकाशित किया गया, जिसे आवश्यकता के अनुसार खोजा जा सकता था। जैसे ही टीम द्वारा विश्लेषण के लिए डेटा सामने आया, हमें आगे सुधार के लिए बेहतरीन विचार और अंतर्दृष्टि मिलनी शुरू हो गई। जिन प्रक्रियाओं में मैन्युअल हस्तक्षेप और लिखित दस्तावेज़ शामिल थे, उन्हें पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत किया गया, जिससे पूरे लॉजिस्टिक सिस्टम में सक्रियता, पारदर्शिता और तेजी आई। वेब्रिज को नए चेक और बैलेंस के साथ डिजिटल रूप से जोड़ा गया, जिससे त्वरित निर्णय लेने के लिए सटीकता और सूचना का त्वरित हस्तांतरण सम्भव हुआ। वैगन डिपो में प्रत्येक वैगन की त्रैमासिक निर्धारित जांच के कार्यान्वयन के साथ-साथ आंतरिक वैगनों की ट्रैकिंग से उनकी उपलब्धता में बड़े पैमाने पर सुधार हुआ। इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले और प्रतिदिन 6 से 8 डिरेलमेंट घटकर सप्ताह में लगभग 3 या 4 हो गई है।

रेलवे के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य: श्री तिवारी ने रेलवे के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने का उदाहरण देते हुए कहा, कि सुचारू परिचालन के लिए बाहरी हितधारकों के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखना आवश्यक है। ये हमारे लिए सबसे चुनौतीपूर्ण काम था। रेलवे द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के लिए हमारे और रेलवे के काम करने के तरीके में पूर्ण रूप से परिवर्तन की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा, एमटीआई में बाहरी हितधारकों के साथ प्रबंधन हेतु आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने से मुझे वो आवश्यक टूल सेट मिला जिससे हम एक गहरी सार्थक सिम्बायोटिक साझेदारी रिश्ता बनाने रेलवे के साथ जुड़ सकें। उन्होंने कहा, वरिष्ठ प्रबंधन ने इसे विकसित करने में सक्रिय और सहायक भूमिका निभाई है, जिसकी वजह से रेलवे से रचनात्मक रूप से जुड़ना संभव हो पाया है। नवीन विचारों और रेलवे के रायपुर मंडल के सक्रिय समर्थन से, हम संयुक्त रूप से छोटे लक्ष्यों को हासिल करते रहे। इन छोटे लक्ष्यों ने हमें अंततः कुछ वर्षों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और हम रेलवे द्वारा निर्धारित मानदंडों तक पहुचने में आने वाले अवरोध को कम करने तथा कई महीनों के लिए विलंब शुल्क को शून्य करने और अन्य संयंत्रों के लिए मानक स्थापित करने में सक्षम हुए।

अपने योगदान से संतुष्ट: श्री तिवारी कहते हैं कि “ मैं संतुष्ट हूं कि मैंने सेल-बीएसपी में अपने लंबे करियर के दौरान संगठन को अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। मुझे लगता है कि यातायात विभाग में दक्षता, टीम वर्क और नवाचार को बढ़ाने वाली विभिन्न परियोजनाओं का नेतृत्व करते हुए मैंने पिछले कुछ वर्षों में संयंत्र की सफलता और विकास में योगदान दिया है। साथ ही सकारात्मक बदलाव लाने और नई तकनीकों को अपनाने के प्रति समर्पण ने संगठन को आगे बढ़ाने और उत्कृष्टता के नए स्तर तक पहुंचने में मदद की है।”

भिलाई इस्पात संयंत्र में वर्क-लाईफ़ बैलेंस: इस्पात उद्योग के अन्य संगठनों की तुलना में भिलाई इस्पात संयंत्र में वर्क-लाइफ बैलेंस के बारे में श्री तिवारी का मानना है कि भिलाई एक अनूठा वातावरण प्रदान करता है, जिसमे कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता मिलती है। इस्पात उद्योग अपनी कठिन कार्य प्रकृति के लिए जाना जाता है। भिलाई इस्पात संयंत्र में मनोरंजक सुविधाओं और कर्मचारी सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से वर्क-लाइफ बैलेंस अनुकूल बनाए रखने के लिए विभिन्न तरीके अपनाये और लागू किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, भिलाई में कर्मचारियों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण की भावना से भी सकारात्मक कार्य संस्कृति बनती है।

भिलाई में सेवानिवृत्त लोगों के लिए आरामदायक और सहायक वातावरण: श्री तिवारी सेवानिवृत्ति के बाद भिलाई में बसने का कारण समुदाय के साथ अपनेपन और आसपास के लोगों से परस्पर जुडाव की भावना को बताते हैं। भिलाई में सेवानिवृत्त लोगों के लिए योग, स्विमिंग पूल, जिम, ट्रैक, इनडोर और आउटडोर स्टेडियम और एक मजबूत सामाजिक नेटवर्क जैसी विभिन्न सुविधाओं हैं जो आरामदायक और सहायक वातावरण प्रदान करता है। भिलाई शहर अपने आप में बहुत साफ-सुथरा और हरा-भरा है, जहां सुबह के समय सचमुच ऑक्सीजन बहती है जो सुबह की सैर करने वालों के लिए स्वर्ग है। इसके अतिरिक्त, भिलाई में रहने से मुझे सेल-बीएसपी में अपनी वर्षों की सेवा के सहकर्मियों और दोस्तों से जुड़े रहने का मौका मिलता है, जिससे मुझे निरंतरता और अपनेपन का एहसास होता है।

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