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विशेष पिछड़ी जनजाति ग्राम भिथीडीह और सोनासिल्ली के सभी परिवारों को मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ

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19 आवास पूर्ण एवं 14 निर्माणाधीन

पीएमजनमन योजना के माध्यम से आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड, बैंक खाता बने

पारम्परिक बांस शिल्प को बढ़ावा देने से आजीविका सुदृढ हुई

महासमुंद, 04 मार्च 2025

आजादी के बाद पहली बार, महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखण्ड के अंतर्गत स्थित विशेष पिछड़ी जनजाति (पीवीटीजी) ग्राम, भिथिडीह और सोनासिल्ली के 33 पीवीटीजी परिवारों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। जिनकी कुल जनसंख्या 126 है। इन परिवारों को आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, बैंकिंग सेवाओं, पारंपरिक बांस शिल्प को बढ़ावा देने, और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण जैसी सुविधाएं पहली बार प्राप्त हुई हैं। इससे इन परिवारों के जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार हो रहा है और उन्हें समाज में एक स्थिर और सम्मानजनक स्थान मिल रहा है। इन सरकारी प्रयासों के द्वारा उन्हें स्वास्थ्य, वित्तीय सेवाओं और आवास के क्षेत्र में पहली बार मूलभूत सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं, जो आजादी के बाद उनका जीवन बदलने में मदद कर रही हैं।
इन 33 परिवारों के सभी सदस्यों का आधार कार्ड और आयुष्मान भारत योजना का स्वास्थ्य कार्ड बनाया गया है। इससे इन परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं में भी सहूलियत मिलेगी। आयुष्मान कार्ड के माध्यम से ये परिवार मुफ्त में इलाज और उपचार प्राप्त कर सकते हैं। इन परिवारों को बैंकिंग सेक्टर से भी जोड़ा गया है, ताकि उन्हें वित्तीय सेवाओं का लाभ मिल सके। अब वे बैंक खातों का संचालन कर सकते हैं, सरकारी लाभ योजनाओं का सीधा लाभ ले सकते हैं और अपने वित्तीय लेन-देन को आसान बना सकते हैं। इससे उनका आर्थिक सशक्तिकरण हो रहा है और वे बिना किसी परेशानी के पैसे भेज और प्राप्त कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत, इन 33 पीवीटीजी परिवारों को आवास निर्माण की स्वीकृति दी गई है। योजना के तहत 19 परिवारों के मकान पहले ही पूर्ण हो चुके हैं और 14 परिवारों के मकान निर्माणाधीन हैं। इन आवासों के निर्माण से इन परिवारों को रहने के लिए बेहतर, सुरक्षित और आरामदायक घर मिलेंगे। इससे उनकी जीवनशैली में सुधार होगा और वे ठंड, बारिश या अन्य मौसम की चुनौतियों से बच सकेंगे।
इन पीवीटीजी परिवारों के परंपरागत बांस शिल्प को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए गए हैं। स्थानीय बाजारों में इनकी शिल्पकला को प्रस्तुत किया गया है, जिससे इन परिवारों को अपनी कला और उत्पादों के माध्यम से आय प्राप्त हो रही है। यह कदम उनके पारंपरिक हुनर को संरक्षित करते हुए, उन्हें आजीविका के लिए एक स्थिर स्रोत प्रदान कर रहा है। इन सभी प्रयासों से पीवीटीजी परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। सरकारी योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन इन परिवारों के जीवन स्तर को उन्नत करने में सहायक साबित हो रहा है। यह प्रयास न केवल उनके जीवन को सरल बना रहे हैं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित रखने का काम कर रहे हैं।


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